ज़िंदगी की चाह…
महसूस करो…
उस ठंडी सी हवा का नरम सा झोका को… पतों के ऊपर सजा हुआ पानी के बूंदों को… सुबह सूरज की हौली सी रोशनी को… दूर बैठी उस चिड़िया की आवाज़ को…
महसूस करो…
अपने सांस को… अपने वजूद को… अपने बर्तमान को… अपने अतीत को… अपने आसूंओं को… अपने हसीं को…
महसूस करो… अपने ज़िंदगी को…
– द डिकोडर
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